बांग्लादेश में हिंदुओं पर सबसे ज्यादा खतरा,

Siddhu Nirala

बांग्लादेश में हिंदुओं पर सबसे ज्यादा खतरा, सात दशक में हिन्दुओ की 14% घटी आबादी; वहां हर साल 2.3 लाख लोग देश छोड़ रहे।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर पिछले 70 सालों से अत्याचार हो रहे हैं। यही वजह है कि हर साल दो लाख से ज़्यादा हिंदुओं को बांग्लादेश छोड़ना पड़ता है। 1964 से 2013 के बीच 1.1 करोड़ से ज़्यादा हिंदुओं को धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना के इस्तीफ़े के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं की चिंता बढ़ गई है।

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बांग्लादेश में आजादी के बाद सबसे बड़े हिन्दू संकट का सामना करना पड़ रहा है। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कट्टरपंथियों के हावी होने से अस्थिर अराजक के माहौल वहां के हिंदू समुदाय के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। वहां भेदभाव और उत्पीड़न का सामना कर रही हिंदू आबादी लगातार कम होती ही जा रही है। आज बांग्लादेश की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1951 के मुकाबले 14 फीसदी कम हो गई है। बांग्लादेश में हर साल 2.3 लाख हिंदू समाज देश छोड़ने को मजबूर होते हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट, सेना की कार्रवाई में 56 की मौत; पूरे देश में अराजकता का माहौल है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर भेदभाव, भूमि अधिग्रहण और हिंसा के शिकार लगातार हो रहे वहां के सरकार कुछ नहीं कर रही है। बांग्लादेश में निहित संपत्ति अधिनियम (जिसे पहले पाकिस्तानी शासन के दौरान शत्रु संपत्ति अधिनियम के रूप में जाना जाता था) के कारण 1965 से 2006 के बीच हिंदुओं की लगभग 26 लाख एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया। इससे 12 लाख हिंदू परिवार प्रभावित हुए।

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हिंदुओं को बनाया जा रहा है निशाना।

बांग्लादेश के प्रमुख अधिकार संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जून 2016 के बीच बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर की गई हिंसा में 66 घर जला दिए गए, 24 लोग घायल हो गए और कम से कम 49 मंदिर नष्ट कर दिए गए।

1990 के दशक में हिंसा में बहुत वृद्धि हुई।

हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी आंदोलन 1980 और 1990 के बीच और बढ़ गया। 1990 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद, चटगाँव और ढाका में कई हिंदू मंदिरों में आग लगा दी गई।

बांग्लादेश में तेजी से हिन्दू समाज की आबादी घटती जा रही है।

बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हिंदुओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया क्योंकि कई पाकिस्तानियों ने उन्हें अलगाव के लिए दोषी ठहराया। इससे हिंदू आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई। 1951 की आधिकारिक जनगणना के अनुसार, बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) की कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या 22 प्रतिशत थी। 1991 तक यह संख्या गिरकर 15 प्रतिशत रह गई।

अभी के समय बांग्लादेश में 8% से भी कम हिंदू हैं।

2011 की जनगणना में यह संख्या 8.5 प्रतिशत ही रह गई। 2022 में यह आठ प्रतिशत से भी कम हो गई है। वहीं, मुसलमानों की आबादी 1951 के 76 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 91 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है।

हिन्दु समाज के लोगो को हर साल देश छोड़ने को मजबूर करते है।

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1964 से 2013 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कारण 11 मिलियन से अधिक हिंदू बांग्लादेश से भाग गए। इसमें कहा गया है कि हर साल 2.3 लाख हिंदू बांग्लादेश छोड़ते हैं। 2011 की जनगणना से पता चला है कि 2000 से 2010 के बीच देश की आबादी से दस लाख हिंदू गायब हो गए।

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया जेल से रिहा होंगी, बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने तत्काल रिहाई का आदेश दिया।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष खालिदा जिया जेल से बाहर आएंगी। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। जेल से खालिदा जिया ने देश के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति के बीच शेख हसीना को सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

मुख्य बातें
@ राष्ट्रपति ने बंग भवन में अहम बैठक की (बंग भवन बांग्लादेश के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास और कार्यस्थल है)।
@ अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा हुई।
@ देश की जनता से शांति की अपील की।

बांग्लादेश में राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सोमवार को ढाका के बंगा भवन में एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में सर्वसम्मति से BNP अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को तुरंत रिहा करने का फैसला किया गया। बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुखों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा की।

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