सेमीकंडक्टर क्षेत्र 2026 तक भारत में 10 लाख नौकरियां पैदा करेगा- एक रिपोर्ट के अनुसार
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में 2026 तक भारत में 1 मिलियन (10 लाख) नौकरियां पैदा करेगा। भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग में 2026 तक 1 मिलियन नौकरियां पैदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो सरकारी पहलों और निजी निवेशों से प्रेरित है। लेकिन, प्रतिभा की कमी एक चुनौती हो सकती है, जिसके लिए इस अंतर को घटाने और उद्योग के विकास का समर्थन करने के लिए अपस्किलिंग (Upskilling) और रीस्किलिंग (Reskilling) कार्यक्रमों की बहुत आवश्यकता होगी।
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आज का भारत अब सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनने की ओर अग्रसर है, इसलिए भारतीय उद्द्योगपति और उद्योग 2026 तक विभिन्न क्षेत्रों में 1 मिलियन नौकरियां पैदा करने के लिए तैयार है, ये बातें सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा गया है। प्रतिभा समाधान कंपनी एनएलबी सर्विसेज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मांग विभिन्न श्रेणियों में देखी जाने की उम्मीद है, जिसमें प्रमुख रूप से चिप सेमीकंडक्टर निर्माण में अनुमानित 3,00,000 नौकरियां, एटीएमपी ATMP (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग) में लगभग 2,00,000 पद और चिप डिजाइन, सॉफ्टवेयर विकास, सिस्टम सर्किट और विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में अतिरिक्त भूमिकाएं शामिल हो सकती हैं।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि इंजीनियरों, ऑपरेटरों, तकनीशियनों और गुणवत्ता नियंत्रण, खरीद और सामग्री इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों सहित कुशल कार्यबल की मांग होगी, जो 2026 तक एक मजबूत सेमीकंडक्टर प्रतिभा पाइपलाइन बनाने की भारत की रणनीति पर जोर दे रहा है।
भारत सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर उद्योग का समर्थन करने के अलावा, भी कई निजी कंपनियों ने भारत में नई सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधाओं के निर्माण में निवेश करने के इरादे का खुलासा किया है, रिपोर्ट आंतरिक डेटा विश्लेषण और उद्योग रिपोर्टों पर आधारित है। भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्रांति को गति देने के लिए तैयार है, जिससे उच्च तकनीक और निर्माण नौकरियों के ढेरों अवसर पैदा होंगे।
सेमीकंडक्टर उद्योग में कुछ प्रमुख नौकरियां प्रोसेस इंटीग्रेशन इंजीनियर, सेमीकंडक्टर वेफर इंस्पेक्टर, तकनीकी विशेषज्ञ, निवारक रखरखाव (पीएम) तकनीशियन, डिज़ाइन इंजीनियर, प्रोसेस इंजीनियर, गुणवत्ता नियंत्रण विशेषज्ञ, आदि हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि चूंकि उद्योग अनुमानित विकास को बनाए रखने के लिए विनिर्माण को व्यापक बनाने का लक्ष्य रखता है, इसलिए यह प्रतिभा की कमी से जूझ रहा है।
इससे आगे देखते हुए मुख्य बात है कि कार्यबल विकास कार्यक्रम (Workforce Development Programs) और कौशल प्रशिक्षण (Skill Training) इस चुनौती से निपटने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
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एनएलबी (NLB) सर्विसेज के CEO सचिन अलुग ने कहा “भारत एक मजबूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्तरीय प्रतिभाओं को विकसित करने के महत्व को पहचानता है, यह समझता है कि उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा इस प्रयास का आधार बनती है। भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए 2026 तक 1 मिलियन कुशल कर्मचारियों के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए, भारत को हर साल 5,00,000 प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होगी।” उन्होंने कहा कि भारत के उभरते सेमीकंडक्टर उद्योग में कुशल स्थानीय प्रतिभाओं का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से वास्तविक व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “ये इंटर्नशिप अमूल्य व्यावहारिक अनुभव प्रदान करती हैं, छात्रों के कौशल को बढ़ाती हैं और अंततः भारत के सेमीकंडक्टर प्रतिभा पूल को मजबूत करती हैं। कुल मिलाकर, अगले 2-3 वर्षों में, हम उम्मीद करते हैं कि कौशल और पुनः कौशल में निवेश 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।”
भारत में सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के लिए अनुमोदन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसमें सबसे हालिया उत्तर प्रदेश की लगभग 32,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए स्वीकृति है। पश्चिम बंगाल राज्य भी बहुत जल्द एक सेमीकंडक्टर नीति लाने की योजना बना रहा है। गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स-पीएसएमसी चिप परियोजना और असम में टाटा द्वारा एक असेंबली और परीक्षण इकाई के अलावा, कई निजी खिलाड़ी चुनौती लेने के लिए आगे आए हैं। सीजी पावर, केनेस, अडानी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने वाली निजी क्षेत्र की अग्रणी कम्पनियों में से हैं। अमेरिका की माइक्रोन टेक को भी गुजरात में एक परियोजना के लिए कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।